दर्द ए दिल
अरे हमें तो अपनों ने लूटा,
गैरों में कहाँ दम था.
मेरी हड्डी वहाँ टूटी,
जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.
मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला,
उसका पेट्रोल ख़त्म था.
मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया,
क्योंकि उसका किराया कम था.
मुझे डॉक्टरों ने उठाया,
नर्सों में कहाँ दम था.
मुझे जिस बेड पर लेटाया,
उसके नीचे बम था.
मुझे तो बम से उड़ाया,
गोली में कहाँ दम था.
और मुझे सड़क में दफनाया,
क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था |
गैरों में कहाँ दम था.
मेरी हड्डी वहाँ टूटी,
जहाँ हॉस्पिटल बन्द था.
मुझे जिस एम्बुलेन्स में डाला,
उसका पेट्रोल ख़त्म था.
मुझे रिक्शे में इसलिए बैठाया,
क्योंकि उसका किराया कम था.
मुझे डॉक्टरों ने उठाया,
नर्सों में कहाँ दम था.
मुझे जिस बेड पर लेटाया,
उसके नीचे बम था.
मुझे तो बम से उड़ाया,
गोली में कहाँ दम था.
और मुझे सड़क में दफनाया,
क्योंकि कब्रिस्तान में फंक्शन था |
लतीफ़े
एक पुलिस इंस्पेक्टर के घर चोरी हो रही थी..
पत्नी- उठो जी घर में चोरी हो रही है।
पुलिस इंस्पेक्टर- मुझे सोने दे, मैं इस टाइम डयूटी पर नही हूं!
संता (बंता से)- क्या तुमने झूठ पकड़ने वाली मशीन देखी है?
बंता- देखी नही मेरे पास है मैंने उससे ही तो शादी की है।
ग्राहक (पुलिस से)- मुझे फोन पर धमकियां मिल रही हैं।
पुलिस (ग्राहक से)- कौन है जो आपको धमकियां दे रहा है?
ग्राहक- फोन वाले कह रहे हैं फोन का बिल नही भरोगे तो काट देंगे।
मनोज (रमेश से)- डॉक्टर ने मुझे कहा था कि वो दो हफ्ते में मुझे पैरों पर खड़ा कर देगा!
रमेश (मनोज से)- अच्छा क्या वो ऐसा कर पाया?
मनोज- हां उसका बिल चुकाने के लिए मुझे अपनी कार जो बेचनी पड़ी।
मां (चिंटू से)- तुम बल्ब पर अपने पापा का नाम क्यों लिख रहे हो?
चिंटू (मां से)- मैं पापा का नाम रोशन करना चाहता हूं।
ओवरटाइम कर रहा हूं
एक बस में एक लड़का साथ खड़ी लड़की पर जानबूझकर गिरने लगा तो
लड़की बोली , ' क्या करते हो ?'
लड़का : जी सरकारी नौकरी।
लड़की : लड़कियां छेड़ना सरकारी नौकरी है ?
लड़का : नहीं यह तो मैं ओवरटाइम कर रहा हूं !
लड़की बोली , ' क्या करते हो ?'
लड़का : जी सरकारी नौकरी।
लड़की : लड़कियां छेड़ना सरकारी नौकरी है ?
लड़का : नहीं यह तो मैं ओवरटाइम कर रहा हूं !
पुलाव की तारीफ
बीवी , बंता सेः चुपचाप खा रहे हो , कुछ तो बोलो। कम से कम मेरे पुलाव की हीतारीफ कर दो।
बंता : एक शर्त पर करूंगा।
बीवीः क्या ?
बंता : वादा करो की दोबारा ऐसा पुलाव कभी नहीं बनाओगी !!!
बंता : एक शर्त पर करूंगा।
बीवीः क्या ?
बंता : वादा करो की दोबारा ऐसा पुलाव कभी नहीं बनाओगी !!!
फिर बजा फोन
संता , बंता सेः तुम्हारे दोनों कानों पर पट्टी क्यों बंधी है ?
बंताः क्या बताऊं यार कल जब में प्रेस कर रहा था , तभी मेरे फोन की घंटी बजी और मैंने जल्दबाजी में गर्म प्रेस कान में लगा ली।
संताः ओह , लेकिन तुम्हारे दूसरे कान में भी पट्टी क्यों बंधी है ?
बंताः अरे यार दो मिनट बाद फिर फोन आया था !!!
बंताः क्या बताऊं यार कल जब में प्रेस कर रहा था , तभी मेरे फोन की घंटी बजी और मैंने जल्दबाजी में गर्म प्रेस कान में लगा ली।
संताः ओह , लेकिन तुम्हारे दूसरे कान में भी पट्टी क्यों बंधी है ?
बंताः अरे यार दो मिनट बाद फिर फोन आया था !!!
तेरी याद आवै है
शाम - सबेरे तेरी घणी याद आवै है। सारी रात मन्नै जगावै है।
करने को तो करूं तन्नै कॉल।
... पर कस्टमर केयर की छोरी हर बार बैलंस लो बतावै है।
करने को तो करूं तन्नै कॉल।
... पर कस्टमर केयर की छोरी हर बार बैलंस लो बतावै है।
कंडक्टर की शादी
कंडक्टर की शादी हो रही थी। जब दुल्हन फेरों के वक्त उसके पास आकर बैठी , तो वह बोला , ' थोड़ा और पास आकर बैठ। एक सवारी और बैठ सकती है !!!'
लड़की पट जाए तो...
लड़की अगर अपनी मर्जी से पट जाए तो ' प्यार ' । अगर दोस्त पटवाए तो ' उपहार' ।
घरवाले ला दें तो ' संस्कार ' । और अगर खुद पटा के लाओ तो ' हाहाकार '
घरवाले ला दें तो ' संस्कार ' । और अगर खुद पटा के लाओ तो ' हाहाकार '
मच्छर चालीसा
जय मच्छर बलवान उजागर, जय अगणित रोगों के सागर ।
नगर दूत अतुलित बलधामा, तुमको जीत न पाए रामा ।
गुप्त रूप घर तुम आ जाते, भीम रूप घर तुम खा जाते ।
मधुर मधुर खुजलाहट लाते, सबकी देह लाल कर जाते ।
वैद्य हकीम के तुम रखवाले, हर घर में हो रहने वाले ।
हो मलेरिया के तुम दाता, तुम खटमल के छोटे भ्राता ।
नाम तुम्हारे बाजे डंका ,तुमको नहीं काल की शंका ।
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारा, हर घर में हो परचम तुम्हारा ।
सभी जगह तुम आदर पाते, बिना इजाजत के घुस जाते ।
कोई जगह न ऐसी छोड़ी, जहां न रिश्तेदारी जोड़ी ।
जनता तुम्हे खूब पहचाने, नगर पालिका लोहा माने ।
डरकर तुमको यह वर दीना, जब तक जी चाहे सो जीना ।
भेदभाव तुमको नही भावें, प्रेम तुम्हारा सब कोई पावे ।
रूप कुरूप न तुमने जाना, छोटा बडा न तुमने माना ।
खावन-पढन न सोवन देते, दुख देते सब सुख हर लेते ।
भिन्न भिन्न जब राग सुनाते, ढोलक पेटी तक शर्माते
नगर दूत अतुलित बलधामा, तुमको जीत न पाए रामा ।
गुप्त रूप घर तुम आ जाते, भीम रूप घर तुम खा जाते ।
मधुर मधुर खुजलाहट लाते, सबकी देह लाल कर जाते ।
वैद्य हकीम के तुम रखवाले, हर घर में हो रहने वाले ।
हो मलेरिया के तुम दाता, तुम खटमल के छोटे भ्राता ।
नाम तुम्हारे बाजे डंका ,तुमको नहीं काल की शंका ।
मंदिर मस्जिद और गुरूद्वारा, हर घर में हो परचम तुम्हारा ।
सभी जगह तुम आदर पाते, बिना इजाजत के घुस जाते ।
कोई जगह न ऐसी छोड़ी, जहां न रिश्तेदारी जोड़ी ।
जनता तुम्हे खूब पहचाने, नगर पालिका लोहा माने ।
डरकर तुमको यह वर दीना, जब तक जी चाहे सो जीना ।
भेदभाव तुमको नही भावें, प्रेम तुम्हारा सब कोई पावे ।
रूप कुरूप न तुमने जाना, छोटा बडा न तुमने माना ।
खावन-पढन न सोवन देते, दुख देते सब सुख हर लेते ।
भिन्न भिन्न जब राग सुनाते, ढोलक पेटी तक शर्माते
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