सोच...

भाग्यवादी लोग,
कुछ होने का इंतज़ार करते हैं,
कर्मयोगी,
हर हाल में कुछ कर दिखातें हैं|

भाग्यवादी कहतें हैं की
समय से पहले,भाग्य से ज्यादा
कुछ नहीं मिलता,
कर्मयोगी हर युग में अपना
भविष्य खुद लिखतें हैं
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सच कह दूँ ऐ उपरवाले !
गर तू बुरा न माने |
तेरे मंदिर के बुत हो गये पुराने |
अपनों से बैर रखना
तुने बुतों से सीखा |
युद्ध सीखाया काजी-मुल्ला को भी खुदा ने |
तंग आ के मैंने आखिर मंदिर-मस्जिद छोड़ा|
काजी का उपदेश छोड़ा,छोड़े तेरे फसाने|
पत्थर की मूरतों में समझा है तू खुदा है|
खाके-वतन का मुझको हर जर्रा देवता है|
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विवेक ,संयम,चित्शुदी
और पुरुषार्थ
इन मुख्य साधनों द्वारा
अपना और समाज का
कल्याण साधकर
मानवता की परमसिद्दी
प्राप्त करना ही
मानव जीवन का ध्येय है||
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