अंगना पधारो हे ओरामा, प्रभु तुम हमरे अंगना में आज पधारो.
कब से खड़े हैं हम स्वागत में तुमरे, सज गई है नगरी अबधिया
दीपक में तेल नाहिं बलब जलाए हैं, पानी से बनी है ये बिजुरिया.
परमानु बिजली कब लईहो ओरामा तुम, खुसहाल हुइहै ई देस
तुमही से रोसनी है, तुमही से जगमग, राजा हैं भिखारियों के भेस.
आओ देखो अबध नगरिया का हाल तुम, महल में कइसे रहोगे
तीन टुकरो भये महल के हमरे जो, तुम कईसे कस्ट सहोगे.
सरजु के तीर तो बिरान भयो बस तुम मान लो ई पंचन की राय
तुमरे निवास बदे देखो खाली कर दी है हमने ये मम्बापुर सराय.
आस के पड़ोस के सब राक्षस आतंकियों ने जीना कर रखा है मोहाल
राजकोष खोल दिया, और है बिछा देखो सैनिकों मसीनों का ये जाल.
कोष खाली हो गया तो चिंता नहीं है हमें, हमपे है किरपा तुम्हारो
अंगना पधारो हे ओरामा प्रभु तुम हमरे अंगना में आज पधारो.
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